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लेखक:

जय प्रकाश त्रिपाठी

जयप्रकाश त्रिपाठी

तीन दशक तक हिंदी पत्रकारिता एवं साहित्य में समान रूप से सक्रियता।
 
1980 के दशक में कुछ वर्ष श्रमिक आंदोलनों में सहभागिता।

कविता-संग्रह :
ईश्वर तुम नहीं हो,
तुक-बेतुक,
जग के सब दुखियारे रस्ते मेरे हैं
मन का अंतरिक्ष।

पत्रकारिता पर पुस्तकें :
मीडिया हूं मैं
क्लास रिपोर्टर
ख़बर फ़रोश
गोदी गांव
संवाददाता
शब्द-शब्द परमाणु।
 
‘मीडिया हूं मैं’ उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के ‘बाबू विष्णुराव पराड़कर पुरस्कार’ से सम्मानित।

संपर्क : jp28may56@gmail.com

मीडिया हूं मैं

जय प्रकाश त्रिपाठी

मूल्य: Rs. 600

कुछ तो होगा, कुछ तो होगा, अगर मैं बोलूंगा, न टूटे, न टूटे तिलिस्म सत्ता का, मेरे अंदर का एक कायर टूटेगा।

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